भारतीय संविधान, अर्थव्यवस्था और समाज के लिए अंबेडकर के योगदान पर बीबीएयू में हुई विचार गोष्ठी :::---

 



* वर्तमान में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडी, शिमला और पूर्व चेयरमैन, इतिहास विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा के प्रख्यात इतिहासकार प्रो.एस.के.चहल, आज दिनाँक 12-02-2020 को इतिहास विभाग, बीबीएयू का दौरा किया और 'अम्बेडकर अध्ययन विद्यापीठ' निम्नलिखित दो मुख्य विषयों पर व्याख्यान दिए:-


1)अंडरस्टैंडिंग बी. आर. अम्बेडकर एज ए ऑर्गेनिक इंटेलेक्चुल ।


2) अंडरस्टैंडिंग जोतिबा फूले फ्रॉम फूकोल्ट परस्पेक्टिव ।



*प्रो. एस. विक्टर बाबू, विभागाध्यक्ष और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने सत्र की अध्यक्षता की और कई संकायों के प्रोफेसर और बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। निम्नलिखित शिक्षकों ने कार्यक्रम में भाग लिया: जिसमे प्रो. शूरा दारापुरी, डॉ प्रीति चौधरी, डॉ वी.एम.रवि कुमार और डॉ रेनू पांडेय उपस्थित रही रही।*



*प्रो चहल ने बताया कि 19 शताब्दी में ज्योतिबा फूले ने अपन पुस्तक 'किसान का कोड़ा' में किसानों की दुर्दशा बहुत बड़ी थी जो कि वर्तमान समय में भी किसानों की वही स्थित है और उन्होंने बताया कि फुले जी पूंजीवादी के घोर विरोधी थे क्योंकि वे लोग किसानों की जमीन हड़प कर लेते थे। 'धन निष्कासन सिद्धान्त'  दादाभाई नौरोजी से पहले  फूले ने 19 वीं  शताब्दी में दिया। और देश की सबसे बड़ी जाति बताई कि जाति की समस्या होने के कारण राष्ट्र के विकास में बाधक है इसका सिर्फ एक ही हल है कि अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने ने छात्रों को संकल्प दिलाया कि फूले की गर्न्थो को पढ़े और अपने जीवन में उतारने की कोशिस करे। प्रो चहल ने अपने व्याख्यान में भारतीय संविधान, अर्थव्यवस्था और समाज के लिए अंबेडकर के योगदान जैसे मुद्दों पर तीन घण्टे तक छात्रों की बीच चर्चा की गई। यह उल्लेख किया जाता है कि बेहतर समाज और मजबूत भारत के निर्माण के लिए अंबेडकर के विचारों को प्रसारित करने के लिए बीबीएयू की बड़ी भूमिका है।*


 


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