डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन मैं विश्व भर से 50 से अधिक वक्ता एवं 200 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित :::--

डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में आज से प्रारम्भ तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन विशिष्ट अतिथियों एवं वक्ताओं ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे----


लखनऊ: 26फरवरी,2020 


  डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय मेें आज से तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया, जो कि दृष्टिबाधित लोगों के शिक्षा एवं पुनर्वास के लिए अनुसंधान एवं नवोन्मेषित अभ्यास की आवश्यकता पर आधारित है। इस कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा संकाय के अधीन दृष्टिबाधितार्थ विभाग द्वारा एन.आई.वी.पी.डी देहरादून के सहयोग से किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह का संचालन दृष्टिबाधितार्थ विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर, श्री बृजेष कुमार राय द्वारा किया गया। सभी प्रतिभागियों एवं विशिष्ट अतिथियों तथा वक्ताओं का स्वागत विश्वविद्यालय के दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना के उद्घोषण से किया गया। कार्यक्रम की रूपरेखा मुख्य समन्वयक, डाॅ0 विजय शंकर शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई, जिसमें उन्होंने ने तीन दिनों के सम्पूर्ण कार्यक्रम की अनुसूची का विवरण, प्री कान्फ्रेन्स प्रतिस्पर्धा प्रतिभागियों एवं वक्ताओं की समस्त जानकारी जो कि देश में नहीं विश्व के कोने कोने से इक्टठे हुए हैं, प्लेनरी सेशन, एवं पैनल डिस्कशन सहित अनेकों जानकारी मंचासीन गणमान्यों समेत सभी उपस्थित आगुन्तकों से साझा की।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ0 एम.एन.जी. मणि ने आयोजन समिति के समस्त सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापन किया एवं शुभकामनाएं दी। अपने संभाषण के दौरान उन्होने शोध के चार प्रमुख अंग जैसे-शोध की आवश्यकता, शोध में नवोन्मेष की उपयोगिता, शोध में मुख्य व्यावधान एवं शोध करने के लिए कुछ मूलभूत शीर्षक जैसे दृष्टिबाधितों के लिए तकनीक, करिकुलम फेमवर्क, बहुदिव्यांगता, दृष्टिबाधिता के अलावा, इत्यादि के विषय पर शोध की प्राथमिकता पर बल दिया। इसके अलावा पुनर्वास एवं शिक्षा के लिए आर. एण्ड, डी. का अभाव, दिव्यांगता के क्षेत्र में पर्याप्त अनुदान के प्रावधान की कमी एवं दिव्यांगता के क्षेत्र में शोध की जगह सेवा को प्राथमिकता देने पर चिंता जाहिर की। इसके साथ ही दृष्टिबाधित छात्रों के समक्ष गणित विषय से भय को दूर करना महत्वपूर्ण बताया।
आयोजन के मुख्य अतिथि अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग एवं पूर्व कुलपति, श्री प्रवीर कुमार ने भी समस्त गणमान्य अतिथि, इलेक्ट्राॅनिक मीडीया  एवं प्रतिभागियों को स्वागत एवं आयोजन मंडली के समस्त सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होनें समाज के निर्माण में दिव्यांगों के योदान के जिक्र के साथ विश्वविद्यालय के कार्यों की भी सराहना की। इसके अलावा शिक्षा में समावेश के महत्व, दिव्यांगों के शिक्षा एवं पुनर्वास में तकनीकी की उपयोगिता, अनुसंधान केन्द्र की व्यवस्था इत्यादि को प्राथमिकता के तौर पर प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने सरकारी नौकरियों में दिव्यांगों की सहभागिता पर प्रकाश डालते हुए चार प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान का जिक्र किया, जिसमें एक प्रतिशत आरक्षण दृष्ट्रिबाधित आवेदकों के लिए सुनिश्चित की गयी है। उन्होंने दिव्यांगों को समाज के मुख्य धरोहर के रूप में चिन्हित करते हुए देश के निर्माण में उनकी भूमिका को सराहा।
अन्त मंे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 राणा कृष्ण पाल सिंह ने अपने अभिभाषण में समस्त गणमान्य एवं अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने विशेष शिक्षा संकाय में बीस नये पाठय्क्रम अगले सत्र से प्रारम्भ करने की बात कही। कुलपति महोदय ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर चिंता जाहिर करते हुये इस पर विचार-विमर्श की आवश्यकता को अनिवार्य बताया। दिव्यांगों के एकीकरण एवं उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिये उपयुक्त तकनीक एवं शिक्षण प्रणाली के उपयोग पर बल दिया एवं इस दिशा में सरकार द्वारा चलाये जा रहे समग्र शिक्षा अभियान की भी सराहना की। दिव्यांगों को सक्षम बनाने के लिये दल बल, जिम्मेदारी, नये प्रायोगत्मक शोध की आवश्यकता एवं दिव्यांगों को ही प्रेरणाश्रोत बनाने की बात कही। 
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर प्रो0 बाॅब मैरिक जो कि सेंटर फाॅर इन्कलूशन आॅफ स्टूडेन्ट्स विद स्पेशल नीड्स, के. यू. एल. विश्वविद्यालय पोलैण्ड, उपस्थित रहे। उन्होनें ‘‘दृष्टिबाधित बच्चों को मेनस्ट्रीम स्कूल में पढ़ाने को प्रभावी अथवा चुनौती‘‘ के विषय पर पृथक आकलन प्रस्तुत किया। यह भी बताया कि दृष्टिबाधित लोगों के पास दुनिया देखने का सर्वोत्तम नजरिया होता है। उन्होने कई उपकरण के विवरण एवं उपयोगिता को भी प्रस्तुत किया।तीन दिनों के इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व भर से 50 से अधिक वक्ता एवं 200 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हुये है। जिनमें यू.ए.एस., इंडोनेशिया, पोलैण्ड, जापान, रूस सहित भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल हुये है। इस सम्मेलन में प्लेनरी सेशन एवं पैनल डिस्कशन के साथ कनकरन्ट सेशन, पेपर प्रेसेन्टेशन, एड्स एवं एपलाएन्सेस के एक्जीबीशन (दृष्टिबाधित के शिक्षा एवं पुनर्वास में सहायक) एवं बुक फेयर की व्यवस्था की गई।  
 


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