ब्रेकिंग 👉*उत्तर प्रदेश मेट्रो ने पूरे भारत में सबसे पहली बार प्रयोग कर लगाया डबल 'टी-गर्डर' आईआईटी-कानपुर मेट्रो स्टेशन पर पहले डबल टी-गर्डर के इरेक्शन के साथ यूपी मेट्रो ने रचा इतिहास*::=देखें खबर


उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर ली है। शुक्रवार को मध्यरात्रि के बाद कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत मेट्रो कॉरिडोर के पहले प्री-कास्टेड डबल टी-गर्डर का इरेक्शन हुआऔर इसी के साथ अपनी उपलब्धियों की फ़ेहरिस्त में यूपीएमआरसी ने एक और नई उपलब्धि जोड़ ली।



दरअसल, इससे पहले भारत में किसी भी मेट्रो परियोजना के अंतर्गत स्टेशन के कॉनकोर्स (प्लैटफ़ॉर्म के अलावा स्टेशन का दूसरा फ़्लोर या तल) का आधार तैयार करने के लिए डबल टी-गर्डर का इस्तेमाल नहीं हुआ। कानपुर मेट्रो के सिविल निर्माण में डबल टी-गर्डर के इस्तेमाल के पीछे मेट्रो इंजीनियरों की रणनीति यह है कि इससे समय की बचत और अच्छी फ़िनिशिंग दोनों ही का फ़ायदा मिलेगा।



इस मौक़े पर गौरवान्वित महसूस करते हुए यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक श्री कुमार केशव ने कहा, “हमारी हमेशा यही कोशिश रहती है कि सिविल इंजीनियरिंग को लेकर हम ऐसे नवोन्मेष का प्रयास करते रहें, जिनसे न सिर्फ़ निर्माण कार्य को गति मिले बल्कि परियोजना की ढांचागत सुंदरता में भी बढ़ोतरी हो। इन सतत प्रयासों का ही परिणाम है कि हमने भारत में पहली बार इस तरह का प्रयोग करके एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है।


कानपुर मेट्रो परियोजना को निर्धारित समय-सीमा के अंतर्गत पूरा करने की दिशा में यह प्रयोग बेहद कारगर साबित होगा। मैं इसके लिए मेट्रो इंजीनियरों की पूरी टीम के साथ-साथ हमारे डिज़ाइन सलाहकारों और कॉन्ट्रैक्टर्स को भी बधाई देता हूं।”


*क्या होता है टी-गर्डर?*


मेट्रो के ढांचे में कई तरह के गर्डर इस्तेमाल होते हैं, जिनका काम मुख्यरूप से आधारशिला तैयार करना होता है। ढांचे कीज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग गर्डर तैयार किए जाते हैं। गर्डर का आकार जिस तरह का होता है, उसके अनुरूप ही उसका नाम रखा जाता है। टी-गर्डर अंग्रेज़ी के ‘T’ अक्षर के आकार का होता है।



सभी प्रकार के गर्डर्स को कास्टिंग यार्ड में पहले ही तैयार कर लिया जाता है और इसके बाद क्रेन की सहायता से कॉरिडोर में निर्धारित स्थान पर रख दिया जाता है। प्री-कास्टेड गर्डर्स के इस्तेमाल से समय की काफ़ी बचत होती है।


फ़िलहाल कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत मुख्यरूप से तीन तरह के गर्डर्स का इस्तेमाल हो रहा है; टी-गर्डर, यू-गर्डर और आई-गर्डर।


*डबल टी-गर्डर का इस्तेमाल क्यों है ख़ास?*


आमतौर पर मेट्रो स्टेशनों के कॉनकोर्स का आधार तैयार करने के लिए सिंगल टी-गर्डर के समूह का इस्तेमाल होता है, लेकिन कानपुर मेट्रो में एलिवेटेड (उपरिगामी) मेट्रो स्टेशनों के कॉनकोर्स फ़्लोर की स्लैब तैयार करने के लिए डबल टी-गर्डर का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि निर्माण कार्य में लगने वाले समय की बचत हो और साथ ही, स्ट्रक्चर की फ़िनिशिंग बेहतर हो सके।


*जनसंपर्क विभाग**उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि.*


Popular posts from this blog

अपनी निडरता और क्षत्रिय वंश के कारण की यदुवंशीयों का नाम 'अहीर' यादव.

ब्रेकिंग👉आधुनिक रेल डिब्बा. कारखाना, रायबरेली में हुआ लिटिल चैम्प डांस मुकाबला ::--पढ़े विस्तार से

ब्रेकिंग 👉उत्‍तर रेलवे के महाप्रबंधक ने की कार्य-प्रगति की समीक्षा==:::पढे विस्तार से