ब्रेकिंग::-👉👉राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शंकराचार्य परिषद एवं भाग्योदय फाउण्डेशन की हिन्दू पंचायत सम्पन्न::==पढें विस्तार से खबर

 


भारत 1947 की गलती को दुहराने को अब कत्तई तैयार नहीं::-स्वामी आनन्द


भारत को हिन्दू गणराज्य बनाने के लिए सभी देशवासी एकजुट हों सन 1200 के पूर्व भारत में नहंीं थी कोई छुआछूत -पूर्व सांसद विजय सोनकर


हिन्दुस्थान यानी भारत राष्ट्र वस्तुतः हिन्दू ही है  -डाॅ. ओम उपाध्याय, भारत सहित विश्व भर के देशों का प्रजातन्त्र इस्लाम का टूल बना हुआ है  -तुफैल चतुर्वेदी

उन क्रांतिवीरों को याद करें जिनके बलिदान के कारण हम आजादी की सांस ले रहे हैं  -राम महेश मिश्र


‘जाति पांति की करो विदाई - हिन्दू हिन्दू भाई भाई’’


नई दिल्ली, 26 दिसम्बर।

 राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली के संसद क्षेत्र स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हाॅल में आज हिन्दू पंचायत सम्पन्न हुई। शंकराचार्य परिषद द्वारा आयोजित इस पंचायत की अध्यक्षता करते हुए परिषद के अध्यक्ष श्री स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज ने कहा कि आज अवसर है हिन्दुस्थान के साथ हुए उस छल का बदला लेने का, जो कुछ षडयंकारियों ने सन् 1947 में एक राष्ट्र इस्लाम के नाम पर बना दिया और दूसरे राष्ट्र को सेक्यूलर छोड़ दिया, ताकि आगे चलकर एक और इस्लामिक राष्ट्र, एक और ईसाई राष्ट्र इसमें से सेक्यूलरिज्म के आड़ में बनाया जा सके। भारत की जनता देर से ही सही लेकिन अब इस छल-छद्म को जान व पहचान चुकी है। अब हम फिर से छलने के लिए कत्तई तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि हिन्दू पंचायतों का आयोजन भारत को हिन्दू गणराज्य बनाने के लिए किया गया है। हम चाहते हैं कि यह राष्ट्र हिन्दू राष्ट्र बने जिसका संविधान भगवदगीता बने। शंकराचार्य परिषद के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इस मंच से सभी शंकराचार्यों से कहना चाहता हूँ कि आप तो न्यायालयों में उलझ कर रह गए। पीठों के पुनर्गठन की जिम्मेदारी भी शंकराचार्य परिषद की होगी, क्योंकि यह हिन्दू प्राण जनता का जन संगठन है। उन्होंने भारतीय धर्मतन्त्र को एकजुट होकर राष्ट्र निर्माण के लिए आगे बढ़ने का आह्वान किया।

स्वामी आनन्द स्वरूप महाराज ने समस्त हिन्दू समाज से एकजुट होने की अपील की और कहा कि हमारे शास्त्रों ने ‘जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद्द्विज उच्चते’ कहकर संस्कारों की महत्ता बतायी है। संस्कारों के बल पर एक शुद्र भी ब्राह्मण बन सकता है और संस्कारहीन होने पर ब्राह्मण भी शुद्र बन सकता है। यह सुन्दर संरचना हमारे ऋषियों ने, हमारे वेद शास्त्रों ने, हमारे पूर्वजों ने की है। उसको छोड़कर हम सब जातिवाद के गन्दे खेल में फंस गए हैं। स्वामी जी ने कहा कि भारतवर्ष को उस हानिकर खेल से निकालने के लिए ही ‘जाति तोड़ो-हिन्दू जोड़ो’ का महाअभियान शंकराचार्य परिषद ने चलाया है। उन्होंने इस श्रृंखला को पूरे देश में विस्तार देने की बात कही। इसके पूर्व उन्होंने विशिष्ट अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर पंचायत सभा का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर पूर्व सांसद श्री विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि सन 1200 के पूर्व भारत में कोई छुआछूत नहीं थी और न ही कोई अन्य सम्प्रदाय यहां था। उसके बाद मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, दलित और आदिवासी जैसे शब्द भारत में पनपे। बाद की सदियों में खासकर आजाद भारत में जातियों की संख्या भारी संख्या में बढ़ी। स्वयं बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक अनटचेबल इण्डिया के पृष्ठ-100 एवं 106 में भारत में छुआछूत नहीं होने की बात लिखी है और मनुस्मृति, जिसे कभी उन्होंने जलाया था, पर लगे भेदभाव के आरोप का खण्डन किया है। यह इतिहास आज किसी को पढ़ाया नहीं जाता। उन्होंने कहा कि 1857 के गदर के बाद अंग्रेजों ने ऐसी कुटिल चाल चली कि भारतवासी सदा असंगठित रहे और वे एकजुट न हो पाएँ। उन्होंने जाति-वर्ण का ऐसा कुचक्र रचा, जिसके तहत भारतीय नागरिक को अपनी जाति का उल्लेख करना पड़ता था। इससे भारतीय समाज में बुरी तरह दरार पड़ गयी। श्री शास्त्री ने शंकराचार्य परिषद व भाग्योदय फाउण्डेशन के ‘जाति तोड़ो-हिन्दू जोड़ो’ अभियान को सराहा तथा भारत मे सुख-शान्ति की स्थापना के लिए हिन्दू गणराज्य को जरूरी बताया।

डाॅ. उपाध्याय ने कहा कि वास्तव में यह बहुत बड़ा भ्रम फैलाया गया कि इस देश को हिन्दू देश-हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रयास हो रहा है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसे हिन्दू राष्ट्र बनाना नहीं है, यह तो वस्तुतः राष्ट्र ‘हिन्दू‘ है। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संघर्ष के दौरान जिस स्वधर्म और स्वराज के लिए हमने इतने बलिदान दिए वह हमसे कहीं छूट गया। गोरे अंग्रेजों की जगह पर जिन काले अंग्रेजों ने सत्ता संभाली, उनकी दृष्टि शायद इन तथ्यों को लेकर स्पष्ट नहीं थी और इसीलिए लगभग सात दशक भटकाव में बीते। हिन्दुस्थान के हिन्दू गणराज्य की अवधारणा निश्चित रूप से अपनी मूल जड़ों से जुड़ने का प्रयास है, रामराज्य और हिन्दवी की पुनस्र्थापना का प्रयास है, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में अपनी समृद्ध थाती को पुनः उजागर करते हुए धर्म आधारित राजनीति के आधार पर एक बार पुनः हिंदुस्तान को उसके वास्तविक जगतगुरु के सिंहासन पर आरूढ़ करने का प्रयास है। इसके लिए शंकराचार्य परिषद के प्रमुख स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज साधुवाद के पात्र हैं।

प्रख्यात साहित्यकार एवं इस्लाम विशेषज्ञ श्री विनय कृष्ण चतुर्वेदी ‘तुफैल’ ने इस्लाम की विस्तृत व्याख्या की और कहा कि भारत सहित विश्व भर के देशों का प्रजातन्त्र इस्लाम का टूल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि सभ्य विश्व को नष्ट होने से बचाना है तो देश-दुनिया में व्याप्त दुष्ट शक्तियों का दमन करना ही होगा। श्री तुफैल ने दुनिया भर में फैले आतंकवाद के कारण और निवारण पर विस्तार की चर्चा की। उन्होेंने हिन्दू समाज को आगाह करते हुए हिन्दू गणराज्य की स्थापना के शंकराचार्य परिषद के प्रयासों की सराहना की। पश्चिम बंगाल के नदिया से विधायक श्री आशीष कुमार विश्वास ने कहा कि निज रक्षा, राष्ट्र रक्षा एवं धर्मरक्षा के लिए शस्त्र रखना कोई अपराध नहीं है। यदि धर्मरक्षा के लिए खून भी बहाना पड़े तो वह धर्म है। उन्होंने बदलते परिवेश में भारत में शास्त्र व शस्त्र के संयुग्म पर जोर दिया।

भाग्योदय फाउण्डेशन के अध्यक्ष व संस्थापक आचार्य राम महेश मिश्र ने मुगलकाल से लेकर अंग्रेजों के काल तक के प्रमुख क्रांतिवीरों को श्रद्धापूर्वक याद किया। उन्होंने कहा कि उन्हीं के समर्पण एवं बलिदान के कारण आज हम भारतवासी आजादी की सांस ले रहे हैं। श्री मिश्र ने सभी हिन्दू जातियों व समूहों के एकीकरण पर जोर दिया और कहा कि समाज-राष्ट्र के मार्गदर्शक ‘ब्राह्मण’ का ‘याचक’ बन जाना और राष्ट्र के शिल्पी ‘शूद्र’ का दलित हो जाना इस ऋषि राष्ट्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। पंचायत सभा का मुख्य मंचीय समन्वयन श्री मिश्र द्वारा किया गया।

इस अवसर पर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के स्वामी धनेश्वर गिरि ने कहा कि हमारा सनातन धर्म भ्रमित अवधारणाओं के कारण अपने मुख्य स्वरूप को भूलता जा रहा है। जातीय साम्प्रदायिकता एवं सनातन धर्म की अपूर्ण जानकारी का प्रचार-प्रसार इसका मुख्य कारण रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदान की गयी विधायें और सनातन संस्कृति की प्रगति के लिए लिखे गए ग्रन्थ व लिपियाँ या तो जला दी गयी या छुपा दी गयी है। उनके मूल विषयों को हटाकर उनमें भौतिकवादिता को जोड़ दिया गया, जिससे सत्य सनातन संस्कृति व हिन्दुत्व में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी। स्वामी धनेश्वर गिरि ने कहा कि सत्य सनातन धर्म प्रकृति का मूल स्वरूप है। यही हमें जीवन की मुख्य धारा से जोड़ता है। यही मानव जीवन की सम्पूर्णता का आधारभूत मन्त्र है। अतएव आज हम सब मिलकर सत्य सनातन धर्म को विश्व स्तर पर जागृत करने का संकल्प लेते हैं और हिन्दू गणराज्य की स्थापना की मांग करते हैं।

पंचायत सभा का समापन शंकराचार्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष श्री मुरली मुखर्जी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इसके पूर्व चले प्रश्नोत्तर कार्यक्रम में जिज्ञासुओं के सवालों का समाधान स्वामी आनन्द स्वरूप ने किया। हिन्दू पंचायत कार्यक्रम में धर्म जगत, अर्थ जगत, मनीषा जगत एवं राजनैतिक जगत की कई हस्तियों के अलावा हलाल इकोनाॅमी के मर्मज्ञ श्री रवि रंजन सिंह, शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) कौशल नारायण मिश्र, राष्ट्रीय सचिव सुरेश पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोनिका आनन्द, राष्ट्रीय सचिव चेतना कालरा, सुनीता कुमारी, राजकुमार वैश्यव, हरीश पाण्डेय, पुनीत कुमार, विनय पाण्डेय सहित कई गण्यमान व्यक्ति उपस्थित रहे।

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