:ब्रेकिंग:--👉👉राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज बुंदेलखंड विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में ऑन लाईन सहभागिता की:::==पढें विस्तार से खबर

 


दीपमाला जैन स्वर्ण पदक सहित 33 पदकों का हुआ वितरण -दीक्षांत का मतलब शिक्षा का अंत नहीं लगातार पुनः पुनः अध्ययन करते हुए सीखते रहना जरूरी

 

नई शिक्षा नीति शिक्षा के नए आयाम स्थापित होंगे-तकनीकी को बढ़ावा देने के प्रयासों में तेजी लाएं-जलवायु परिवर्तन की समस्याओं के समाधान को खोजे जाने पर बल- राज्यपाल

            


 लखनऊः 5 फरवरी, 2021

  उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज झाँसी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के 25 वें दीक्षांत समारोह में ऑन लाइन सहभागिता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि मेरे लिए गर्व का विषय है कि आज मुझे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रणेता वीरांगना लक्ष्मीबाई की क्रांतिधरा पर स्थित इस बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के 25 वें दीक्षान्त समारोह में आपको संबोधित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष एवं दीक्षांत पर्व अपने साथ एक नयी चुनौती तथा नयी संभावना लेकर आता है। जिन स्नातकों ने इस अवसर पर पदक एवं पुरस्कार प्राप्त किये हैं उनको मेरी विशेष शुभकामनायें! मुझे पूर्ण विश्वास है कि नए समाज और नए भारत के निर्माण में आप अपना योगदान देंगे। 

मैं उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले स्नातकों के अभिभावकों को भी बधाई देती हूँ, जिनके अथक योगदान ने उन्हें यह उपाधि एवं पदक प्राप्ति का अवसर प्रदान किया है। 

 उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय स्वावलंबन एवं बहु-आयामी विकास का प्रतीक है। विश्वविद्यालय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों जैसे शोध, तकनीकी, कृषि एवं सामाजिक विकास, न्याय व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा, खेल प्रशिक्षण संस्थानों एवं शिक्षण सस्थानों हेतु दक्ष मानव संसाधनों की उपलब्धि सुनिश्चित कर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक एवं तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

       प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का पहला संस्थान है।मुझे यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि विश्वविद्यालय पूर्णतया वेब संचालित है और परीक्षा के दस्तावेजों का डिजिटाइजैशन किया जा चुका है। विश्वविद्यालय परिसर सर्विलांस सिस्टम द्वारा सुरक्षित एवं नियंत्रित है। विश्वविद्यालय परीक्षा प्रणाली की शुचिता एवं गरिमा बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।  

विश्वविद्यालय में प्रदेश की सबसे आधुनिक शोध सुविधा इनोवेशन सेंटर द्वारा अनेक शोध एवं औद्योगिक संस्थानों के साथ अनुबंध किये जा रहे हैं ताकि पारस्परिक प्रयासों द्वारा विज्ञान और तकनीक का विकास हो।विश्वविद्यालय कोविड 19 के पश्चात ऑफ लाइन कक्षाएं संचालित करने वाले संस्थानों में अग्रणी रहा है।

       आज विभिन्न उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है जो संभावनाओं एवं उपलब्धियों के नए क्षितिज छूने को आतुर हैं। किसी छात्र के जीवन में दीक्षांत एक प्रमुख उपलब्धि है, जो उच्च शिक्षण तथा व्यावसायिक जगत के मार्ग की ओर उन्मुख करती है। जीवन ज्ञान प्राप्ति की अनंत यात्रा है और इस यात्रा के लिए हमें सदैव जिज्ञासा, जोश एवं ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि प्रिय विद्यार्थियों, हम वैश्विक समाज के ज्ञान युग के दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए जीवन में सफल होने के लिए तकनीकी, अवधारणात्मक एवं मानवोचित गुण एवं कुशलता अनिवार्य हैं। यह तभी संभव है जब पाठयक्रम एवं शिक्षण पद्धति ऐसी हो जो छात्रों का भौतिक, बौद्धिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मक विकास सुनिश्चित करे। बहुमुखी व्यक्तित्व विकास के लिए शिक्षा में छह आयामों का समावेश अनिवार्य है। उन्होंने सभी छह आयामों की विस्तृत समीक्षा करते हुए उपस्थित छात्र-छात्राओं को इसके बारे में बताया।         

      राज्यपाल ने कहा कि मुझे बताते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भाषा, सभ्यता, संस्कृति, सामाजिक मूल्यों को समुचित महत्व मिला है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विजन भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए नए आयाम स्थापित करने का अवसर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप भारतीय है। यह पूरी तरह से भारत की भारतीय शिक्षा नीति है। नीति के सफल अमल से भारतीय ज्ञान के साथ-साथ भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार विद्यार्थियों में स्किल विकसित होगा, जो बहुमुखी प्रतिभा संपन्न युवाशक्ति का निर्माण करेगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति बिना दबाव, अभाव और प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण का प्रयास है। भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी रूचि और प्रवृत्ति के अनुसार पढ़ाई करने और बिना किसी दबाव के अपनी क्षमता के अनुसार कोर्स और डिग्री ले सकें। जरुरी है कि समाज के आखिरी छोर पर खड़े छात्र-छात्राओं की सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट ज्ञान तक पहुंच हो। इसके लिए आवश्यक है कि इक्विटी, कंटेंट और गुणवत्ता सुधार के कार्यों पर विचार किया जाए।

देश के अन्दर आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की बात हो रही है। ऐसे समय में जरुरी है कि डिजिटल गतिविधियों को अधिक से अधिक प्रसारित करने के लिए तकनीक को उपयोगकर्ता के लिए सरल और सुविधा सम्पन्न बनाया जाये। स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान खोजने के साथ ही जरूरत इस बात की है कि ऐसी जीवनशैली के मॉडल्स के बारे में भी सोचा जाए, जो आसानी से सुलभ हों। उसमें गरीबों, सबसे कमजोर लोगों के साथ ही साथ हमारे पर्यावरण की देखरेख को प्रमुखता हो।

कुलाधिपति ने कहा कि मैं आज युवा स्नातकों से आग्रह करना चाहती हूँ कि वे जागें और उठ कर एक उच्चत्तर चेतना, एक नए समाज, एक नए भारत और एक नई दुनिया के लक्ष्य की ओर बढ़ें।

मैं एक बार पुनः स्नातक की उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना एवं बधाई देती हूँ तथा विश्वविद्यालय की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करती हूँ।

           मुख्य अतिथि प्रोफेसर अविनाश चंद्र पांडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि मेरे लिए झांसी एक प्रकार की तीर्थ यात्रा है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र बिंदु में झांसी की प्रसिद्ध रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका और मेरे व्यक्तिगत भावनात्मक जुड़ाव की यादें आंदोलित करती हैं, उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कारण भी झांसी को जाना जाता है, जिसकी स्थापना 1975 में हुई थी। यह प्रदेश का एकमात्र राज्य विश्वविद्यालय है जिसमें नई शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण से समग्र शिक्षा प्रदान करने की क्षमता है। उन्होंने भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि दुनिया में सबसे प्रतिभाएं भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा ही दी गई है, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, मास्टर कार्ड, और भारतीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली के उत्पाद हैं। उन्होंने उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं से कहा आप ही लोग हैं जो भारत को तेजी से विकास की राह पर ले जाने वाले हैं। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात आपको अपनी आशावाद को नहीं खोना चाहिए, उन नकारात्मक चीजों से दूर रहना चाहिए जिनके जिन्हें आप अक्सर अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में देखते हैं। भारत तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि कई अच्छे लोग यहां काम कर रहे हैं हमारे पास तेजी से बढ़ने की क्षमता है आपको व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।

        उन्होंने कहा कि आप आगे के अध्ययन के लिए या शिक्षा के क्षेत्र में सरकार उद्योग या अन्य जगहों पर आजीविका के लिए जाते हैं अतः आशावाद के साथ आगे बढ़े और सिद्धांतों के साथ समझौता ना करें जहां भी आप किसी भी स्थिति में हैं कृपया अपनी मातृ संस्था को याद रखें जहां यह सब शुरू हुआ और भविष्य में इस संस्था का हर संभव तरीके से समर्थन करने का प्रयास करें आप इस संस्था के सबसे बड़े राजदूत बनने जा रहे हैं और आपकी सफलता और हमारे प्रयासों से यह राष्ट्र इस यह संस्थान इस राष्ट्र की अपेक्षा को पूरा करेगा।

          इस अवसर पर प्रोफेसर जेवी वैशंपायन कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने स्वागत अभिभाषण के साथ प्रगति आख्या प्रस्तुत की उन्होंने कहा मैं बताना चाहता हूं कि झांसी की पावन धरा वह धरती है जहां की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ने 1857 स्वतंत्रता संग्राम में अपने अमित शौर्य और प्राणों के उत्सर्ग से झांसी के नाम को विश्व इतिहास के सुनहरे पन्नों में स्वर्णाक्षर से लिखा। यह वह धरती है जहां अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने आकर शरण ली थी और क्रांति की ज्वाला फूंकने का काम किया था। बुंदेलखंड की धरा ने महर्षि वेदव्यास, बाल्मीकि, भवभूति, विष्णुगुप्त चाणक्य, गोस्वामी तुलसीदास, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, वृंदावन लाल वर्मा जैसे श्रेष्ठ साहित्यकारों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा दीक्षांत समारोह के अवसर पर वर्चुअल पधार कर आपने हमारे दीक्षांत समारोह की गरिमा को बढ़ाया है 

        कुलपति ने बताया कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश की अग्रणी विश्वविद्यालयों में है 7 जनपदों में फैली 350 से अधिक संबद्ध महाविद्यालयों के माध्यम से बुंदेलखंड अंचल में ज्ञान के प्रकाश को वितरित करने में महती भूमिका का निर्वाह कर रहा है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय अपने दूर-दूर तक विस्तारित महाविद्यालयों के द्वारा आर्टस, साइंस, मैनेजमेंट, फॉरेंसिक साइंस, फार्मेसी, बायोमेडिकल आदि परंपरागत तथा नवीनतम युग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ज्ञान के नए क्षेत्रों के उद्घाटक विषयों का सुंदर सम्मिश्रण अपने विद्यार्थियों तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है।

     उन्होंने बताया कि भविष्य में अनेक का योजनाएं बनाई है जिसमें राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के माध्यम से विश्वविद्यालय में मिट्टी की जांच हेतु एक सॉयाल टेस्टिंग लैब की स्थापना करना शामिल है साथ ही एक मास मीडिया लैब का निर्माण भी किया जाना है।

 उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय कदाचित इस प्रदेश का एकमात्र आज विश्वविद्यालय है जिसमें एनएएसी के 3 चक्र हो चुके हैं अगला मूल्यांकन 2022 में होना है जिसके लिए तैयारियां की जा रही हैं।

      उन्होंने उन्होंने कहा कि आज जो विद्यार्थी पदक सूची में शामिल होकर इस मंच से पदक प्राप्त कर रहे हैं मैं उन सभी को बधाई और आशीर्वाद देता हूं जो विद्यार्थी इस बार पदक सूची में स्थान बना पाने से चूक गए हैं उन से मेरी अपील है कि वे अगले वर्ष और बेहतर तैयारी से आए और अगली कक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए पदक की होड़ में अपना नाम भी शामिल करवाएं। दीक्षांत समारोह के अवसर पर मैं सभी छात्र छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं और आप सब से अपेक्षा करता हूं कि आप सब समाज में जाकर अपने सपनों को पूरा करें और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें।

       दीक्षांत समारोह में उपस्थित मुख्य अतिथि सहित कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रोफेसर जे वी वैशंपायन एवं विशिष्ट अतिथि मंडलायुक्त श्री सुभाष चंद शर्मा ने संयुक्त रूप से छात्र-छात्राओं को अलंकरण से सुशोभित किया। इस दौरान एमएससी कृषि की छात्रा दीपमाला जैन को 88.8 फीसदी अंक पाकर कुलाधिपति स्वर्ण पदक सहित पाच पदकों से नवाजा गया, इसके अलावा 44 छात्र-छात्राओं को विभिन्न पदों से सुशोभित किया गया तथा 34 छात्र-छात्राओं को विन्यासी पदक प्रदान किए गए, कार्यक्रम में प्राइमरी स्कूल कोछाभांवर के बच्चों को पाठ्य सामग्री का वितरण किया गया।

       बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के 25 वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय प्रांगण में विभिन्न स्वयं सहायता समूह, एफपीओ, प्रधानमंत्री आवास शहरी व ग्रामीण,ओडीओपी के स्टालों को लगाया गया, स्टालों का निरीक्षण समस्त अतिथियों द्वारा किया गया। इस मौके पर उन्होंने स्वयं सहायता समूह, एफपीओ के कार्यों की सराहना करते हुए प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह व शाल पहनाकर सम्मानित किया।

  कार्यक्रम में राज्यमंत्री श्री मन्नु लाल कोरी, विधायक मऊरानीपुर श्री बिहारी लाल आर्य, आईजी श्री एसएस बघेल, जिलाधिकारी श्री आंद्रा वामसी, मुख्य विकास अधिकारी श्री शैलेष कुमार, नगर आयुक्त श्री अवनीश चंद्र राय सहित विभिन्न संकाय की अधिष्ठाता के रूप में प्रोफेसर, अभिभावक व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

    

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