देवरिया संसदीय सीट का इतिहास देश के पहले लोकसभा चुनाव (1952) के साथ ही पुराना है।

देवरिया के मतदाताओं ने समयानुसार हर पार्टी के नेताओ को चुना अपना नेता


तमकुही, कुशीनगर। देवरिया संसदीय सीट का इतिहास देश के पहले लोकसभा चुनाव (1952) के साथ ही पुराना है। यहां पर लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन 1991 के बाद उसका असर यहां से कम होने लगा और मुकाबला बीजेपी, सपा और बसपा के बीच ही होने लगा। देवरिया जिले के पहले सांसद रहे विश्वनाथ राय लगातार 4 बार यहां से सांसद चुने गए तो वही मोहन सिंह इस क्षेत्र का तीन बार प्रतिनिधित्व किये।
महान संत देवरहा बाबा की धरती देवरिया लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय सीटों में से एक है और इसकी संसदीय संख्या 66 है। देवरिया का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि देवरिया नाम की उत्पत्ति ‘देवारण्य’ या ‘देवपुरिया’ से हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ‘देवरिया’ नाम इसके मुख्यालय के नाम से लिया गया है और इसका मतलब होता है एक ऐसा स्थान, जहां कई मंदिर होते हैं।
देवरिया जिला उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। जिले का निर्माण 16 मार्च 1946 को गोरखपुर के पूर्व-दक्षिण के कुछ हिस्से को अलग कर किया गया। इसके बाद 13 मई 1994 को देवरिया से अलग कर एक नया जिला कुशीनगर (पूर्व में नाम पडरौना जिला) बनाया गया और उसके बाद इसे 1997 में कुशीनगर का नाम दिया गया।
देवरिया संसदीय सीट का इतिहास देश के पहले लोकसभा चुनाव (1952) के साथ ही पुराना है। यहां पर लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन 1991 के बाद उसका असर यहां से कम होने लगा और मुकाबला बीजेपी, सपा और बसपा के बीच ही होने लगा। देवरिया जिले के पहले सांसद रहे विश्वनाथ राय लगातार 4 बार यहां से सांसद चुने गए। वह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में थे। उन्होंने 1952 से 57 तक पहले लोकसभा में यहां का प्रतिनिधित्व किया।
विश्वनाथ राय इसके बाद 1957-62, 1962-67 और 1967-70 तक लोकसभा में यहां से चुने गए। यहां से राजमंगल पांडे भी (1984 और 1989) सांसद रहे। 1991 के बाद की यहां की राजनीति की बात करें तो मोहन सिंह जनता दल के टिकट पर 1991 में चुने गए। 1996 में बीजेपी ने अपना खाता यहां से खोला और प्रकाश मणि त्रिपाठी चुने गए। बीजेपी यहां पर 1996 के अलावा 1999, और 2014 में विजयी रही थी। जब कि सपा से मोहन सिंह 1998 व 2004 में जीत हासिल की तो वही गोरख जायसवाल ने 2009 में पहली बार बसपा को जीत दिलाने में कामयाब रहे। 2014 में कलराज मिश्रा ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल कर यह सीट बीएसपी से छीनी थी।
2011 की जनगणना के अनुसार देवरिया जिले की आबादी 31 लाख से ज्यादा है और यह उत्तर प्रदेश का 32वां सबसे घनी आबादी वाला जिला है। यहां पर कुल आबादी 31,00,946 है जिसमें पुरुषों की 15,37,436 (50%) और महिलाओं की 15,63,510 लाख (50%) है। ज्यादातर आबादी गांव में रहती है। गांवों में 27,84,143 आबादी रहती है। जाति के आधार पर देखा जाए तो यहां पर सामान्य व पिछड़ा वर्ग की आबादी 81 फीसदी है तो अनुसूचित जाति की आबादी 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की महज 4 फीसदी आबादी यहां रहती है।
धर्म के आधार पर देखा जाए तो 88.1% लोग हिंदू धर्म से संबंधित हैं तो 11.6% लोग मुस्लिम समाज से आते हैं, अन्य धर्म के मानने वालों की संख्या महज 0.3% है। देवरिया का लिॆंगानुपात सकारात्मक है और प्रति हजार पुरुषों पर 1,017 महिलाएं हैं। साक्षरता दर का स्तर देखा जाए तो यहां की साक्षरता 71% है, जिसमें पुरुषों की 83% और महिलाओं की 59% आबादी साक्षर है।
देवरिया संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें देवरिया, तमकुही राज, फाजिलनगर, पथरदेवा और रामपुर कारखाना शामिल है, यहां से एक भी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं है। देवरिया विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के जनमेजय सिंह विधायक हैं जिन्होंने 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के जेपी जयसवाल को 46,236 मतों से हराया था। तमकुही राज विधानसभा से कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने बीजेपी के जगदीश मिश्रा को 18,114 मतों के अंतर से हराकर विधानसभा में कांग्रेस यहां से अपनी सीट बचाने में कामयाब रही थी।
फाजिलनगर विधानसभा सीट से बीजेपी के गंगा सिंह कुशवाहा ने 2017 के चुनाव में सपा के विश्वनाथ को 41,922 मतों के अंतर से हराया था। वहीं पथरदेवा से बीजेपी के सूर्य प्रताप शाही ने सपा के शाकिर अली को 42,997 मतों के अंतर से हराया था,जबकि रामपुर कारखाना से बीजेपी के कमलेश शुक्ला ने सपा के फासिहा मंजर गजाला लारी को 9,987 मतों के अंतर से हराया था. देवरिया के 5 विधानसभा के परिणाम के आधार पर देखा जाए तो 4 सीट पर बीजेपी का कब्जा है जबकि एक सीट पर कांग्रेस की पकड़ है। सपा-बसपा का यहां पर खाता ही नहीं खुला. खास बात यह है कि इन सीटों पर हार-जीत का अंतर भी काफी ज्यादा है।
2014 के लोकसभा चुनाव के समय देवरिया में 18,06,926 वोटर्स थे। जिसमें 9,97,314 पुरुष और 8,09,612 महिला मतदाता थे. उस दौरान इस संसदीय क्षेत्र में 9,71,557 यानी 53.8% मतदान हुआ। जिसमें 53.1% यानी 9,59,152 वोट मान्य पाए गए, जबकि यहां पर 12,405 वोट यानी कुल मतों का 0.7% नोटा में पड़ा
इस संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के कलराज मिश्रा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने चुनाव में 51.1% यानी 496,500 वोट हासिल किया था। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के नियाज अहमद को 265,386 (27.3%) मतों से हराया। तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के बलेश्वर यादव रहे जिनको 150,852 यानी 15.5% वोट हासिल हुआ। कांग्रेस यहां पर चौथे स्थान पर खिसक गई। इस चुनाव में 15 लोगों ने अपनी किस्मत आजमाई थी।
देवरिया सीट बीजेपी के लिए बेहद अहम है क्योंकि यह संसदीय क्षेत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र के पड़ोस में पड़ता है। पिछले चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्ता में फिर से लौटने के लिए बीजेपी को यह सीट हर हाल में जीतनी होगी, लेकिन आम चुनाव से पहले सपा-बसपा के बीच चुनावी गठबंधन के बाद मुकाबला रोचक हो गया है। खासकर तब जब 2017 के विधासभा चुनाव में सपा और बसपा का यहां पर खाता ही नहीं खुला था, लेकिन अब दोनों पार्टियां साथ चुनाव लड़ेंगी, ऐसे में सभी की नजर इस सीट पर रहेगी।


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