अद्भुत शख्सियत के धनी देवी प्रसाद त्रिपाठी(डीपीटी) को लखनऊ प्रेस क्लब में दी गई श्रद्धांजलि:::--
लखनऊ। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रमेश दीक्षित ने कहा कि डीपीटी (देवी प्रसाद त्रिपाठी) में लोगों को जोड़ने की अद्भुत क्षमता थी। वह दोस्तों और दुश्मनों दोनों से ही हंसकर मिलते थे।
यूपी प्रेस क्लब में डीपीटी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रोफ़ेसर रमेश दीक्षित ने कहा कि उनका व्यक्तित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर का था। वह देश की ऐसी शख्सियत थे, जो बेनजीर भुट्टो की शादी में भी शामिल हुए थे।उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी के साथ नेपाल की क्रांति के प्रमुख सूत्रधार थे। उनकी दोस्ती का दायरा बहुत बड़ा था। छात्र जीवन से उनसे अपने जुड़ाव को याद करते हुए डॉक्टर दीक्षित ने कहा की डीपीटी ने अपनी पूरी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी। वह चार से पांच बार जेएनयू के अध्यक्ष रहे।
उन्होंने कहा की हालिया जेएनयू में जो कुछ हुआ, उसे देखकर निश्चित रूप से उनकी आत्मा कराह उठी होगी। उन्हें सभी भाषाओं का ज्ञान था, उनकी एक अद्भुत क्षमता थी की वह 2 से 3 घंटे तक लगातार एक साथ भाषण दे सकते थे। वह छात्र आंदोलनों में सबसे आगे रहते थे।
पूर्व विधान परिषद सदस्य सिराज मेंहदी ने स्वर्गीय त्रिपाठी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनकी याददाश्त बहुत तेज थी।उनका विदेशों में भी बहुत सम्मान होता था। नेपाल के राष्ट्रपति रामकरन यादव ने भी उन्हें सम्मानित किया था।
पूर्व मंत्री अम्मार रिजवी ने 1950 में उनसे हुई अपनी मुलाकात को याद करते हुए कहा कि एक समय ऐसा था की डीपीटी साहब स्वर्गीय राजीव गांधी के गुरु हुआ करते थे। स्वर्गीय त्रिपाठी को श्रद्धांजलि देते हुए उनका दर्द भी झलका। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी जी ने उनका महमूदाबाद से टिकट कटवाया था, लेकिन उसके बाद उनके संबंध उनसे भाई की तरह हो गए थे। उन्होंने कहा स्वर्गीय त्रिपाठी जैसे लोग सदियों में पैदा हुआ करते हैं। उनके निधन से वह अपने आप को बेसहारा समझ रहे हैं।
पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी ने स्वर्गीय त्रिपाठी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि छात्र आंदोलनों पर वह अक्सर उन से चर्चा किया करते थे। उन्होंने कहा कि उनके निधन की खबर उन्हें प्रदीप कपूर से पता चली। उनकी दृष्टि बहुत साफ थी और वह शुद्ध रूप से राजनीतिक व्यक्ति थे। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता एवं लेखक अतुल तिवारी ने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी को सभी देशों की राजनीति की अच्छी जानकारी थी। उनकी हर क्षेत्रों में पूरी पकड़ थी। उनका जब भी मुंबई आना होता था। फिल्म जगत के सारे लोग उनसे मिलने आते थे। वह कमाल के गायक भी थे। फिल्म क्षेत्र में भी उनकी बड़ी पकड़ थी। वह संघर्षशील व्यक्ति थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ दिन पहले जब जेएनयू में दमन चक्र चला, तब वहां के छात्रों ने यह नारा लगाते हुए उनका विरोध किया था कि डीपी त्रिपाठी आप नहीं हो पर हम संविधान को कुचलने नहीं देंगे।
वरिष्ठ पत्रकार हसीब सिद्दीकी ने कहा कि वह सिद्धांत वादी व्यक्ति थे। हालांकि उनकी स्वर्गीय त्रिपाठी से मुलाकात नहीं थी पर उन्होंने जो भी उनके बारे में सुना। उससे उनके सियासी कद का अंदाजा लगाया जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि वह बहुत ही व्यवहार कुशल व्यक्ति थे। सुल्तानपुर जिले के होने के नाते उन्हें उन पर गर्व था। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के निवासी होने के बाद भी वह महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे।
चाचा अमीर हैदर ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा की मौजूदा हालात में त्रिपाठी की बहुत जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर ने कहा कि वह लोगो की बहुत मदद करते थे। सबको साथ लेकर चलते थे। उन्होंने आजीवन साम्प्रदायिकता का विरोध किया था।