खास खबर::--👉👉👉महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश(मध्य) की लखनऊ इकाई द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आनलाइन माध्यम से आयोजन:::==पढे विस्तर से

महिला काव्य मंच(रजि.)उत्तर प्रदेश(मध्य) की लखनऊ इकाई द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आनलाइन माध्यम से डा०रीना श्रीवास्तव जी की अध्यक्षता एवं संयोजकत्व में आयोजित हुआ 

 दिनांक 25 जुलाई 2021  

डा०रीना श्रीवास्तव  की अध्यक्षता एवं संयोजकत्व में महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश(मध्य) की लखनऊ इकाई द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आनलाइन माध्यम से आयोजन किया गया तथा सह-संचालक के रूप में डा०अर्चना सिंह ने अपनी भूमिका निभाई।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहीं डा०राजेश कुमारी (अध्यक्ष म.का.म उ०प्र० इकाई मध्य )।गोष्ठी का आगाज हुआ सरस्वती वंदना के साथ जिसे स्वरबद्ध किया स्वयं डॉ रीना श्रीवास्तव  ने। प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ राजेश कुमारी  ने कवयित्रियों को प्रोत्साहित किया और सावन मास की शुभकामनाएं दीं। डॉ राजेश कुमारी ने अपनी रचना 'ये पेड़ बहुत दे जाते हैं' के माध्यम से बहुत ही गंभीर संदेश दिया तथा कारगिल विजय दिवस के अवसर पर शहीदों का नमन किया।

काव्य संध्या को आगे बढाते हुए डा०ज्योत्स्ना सिंह ने'विश्वगुरु अपने भारत की कथा बताती हूँ'गाकर देशप्रेम की अलख जगाई।इसी क्रम में आगे डा०कीर्ति श्रीवास्तव ने 'मायका तो सभी लडकियों को प्यारा होता है,पर मुझको ससुराल भी'सुनाकर सभी को भावविभोर किया। 

श्रीमती साधना मिश्रा ने'आंखें ये आंखें,जिनमें झिलमिल से'कविता का पाठ अपने चिरपरिचित अंदाज में किया,डॉ रेखा गुप्ता ने'तुम बहुत दूर हो'गजल गाकर मंच को गुलज़ार किया,तत्पश्चात डॉ अनुराधा पांडेय ने'जा उड़ जा मेघ गगन से',श्रीमती मनीषा श्रीवास्तव ने'खामोशी है पसरी'ग़ज़ल गाकर वाहवाही लूटी।

पूजा कश्यप ने 'दहेज प्रथा या कुप्रथा'जैसे ज्वलंत मुद्दे पर अपनी सशक्त लेखनी का परिचय दिया।शिखा श्रीवास्तव ने'समय की रेत' कविता का पाठ किया।मंच पर उपस्थित सुश्री अंजू ने'पहले होता था दालान,अब होते हैं कमरे',डॉ कालिंदी पांडे ने 'भूली बिसरी यादों को हम छोड़कर आए',डॉ शोभा बाजपेई ने भोले नाथ का आवाह्न 'श्याम हो श्वेत हो'कविता के माध्यम से किया।

श्रीमती स्नेहलता ने मंच को सावन के रंगों में भिगो दिया अपनी रचना'सावन की बूंदों ने बदरवा से हंसकर कहा'के माध्यम से,श्रीमती बीना श्रीवास्तव ने'पति के प्रश्न' प्रस्तुत किये,सुश्री जूली सिंह ने अपनी कविता'जीवन की यही कहानी' के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किये,डॉ पूनम सिंह ने 'हे!पथिक ठहरो'तथा श्रीमती शालिनी त्रिपाठी ने 'सपने बहुत थे मेरे'का पाठ किया,अर्चना पाल ने अपनी कविता'किसी  का सहारा बने 'के माध्यम से  सकारात्मकता बिखेरी।

गोष्ठीअंत में डॉ रीना श्रीवास्तव ने अपनी कविता'गुरु क्या-क्या कर जाता है,मानव को मानव बनाता है'के द्वारा गुरु का महत्व बताया और सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः की कामना के साथ काव्य गोष्ठी को उसके समापन की ओर पहुंचाया।

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