ब्रेकिंग:--👉सेनानी परिवार यदि अब भी चुप रहे तो गौरैया पक्षी की तरह लुप्त प्रजाति में चले जाएंगे::---जितेन्द्र रघुवंशी

113 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी दादा लेखराज सहित कई वरिष्ठ सेनानियों ने आजादी के कर्मवीरों के परिवारों की उपेक्षा न करने की दी मोदी सरकार को सलाह

बहराइच में जुटे उ.प्र. समेत एक दर्जन प्रान्तों के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के उत्तराधिकारी परिजन

बहराइच, 13 नवम्बर। 

यहां के.डी.पैलेस होटल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारिका विमोचन समारोह में अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन बहराइच/श्रावस्ती द्वारा अतिथियों के स्वागत सत्कार के लिए अपनी अमिट छाप छोड़ते हुए राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ।  देश के लगभग एक दर्जन प्रांतों से स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में पहुंचकर बहराइच/श्रावस्ती के स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के लिए प्रेरणा स्रोत बने।

आयोजन की शुरुआत 113 वर्षीय वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराज जी एवं गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गठित एमिनेंट कमेटी के सदस्य श्री पाण्डुरंग गणपति शिंदे जी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन करके की गई। आयोजकों के द्वारा देश के विभिन्न भागों से आए हुए पदाधिकारियों का स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र तथा प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम संयोजक श्री रमेश कुमार मिश्र ने आयोजन में पधारे अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आयोजन के स्वरूप की चर्चा की। आयोजन के मूलाधार 113 वर्षीय वरिष्ठतम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराज जी, श्री पाण्डुरंग गणपति शिंदे, श्री राम विचार पाण्डेय, श्री अवतार सिंह एवं वीरांगना प्रेम देवी ने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान दी गई यातनाओं का उल्लेख करते हुए उपस्थित पदाधिकारियों को भीतर तक झंकृत किया। अमर शहीद मंगल पाण्डेय के प्रपौत्र श्री रघुनाथ पाण्डेय, शहीदे आजम नवाब मज्जू खान के प्रपौत्र श्री सलीमुद्दीन फारूकी तथा अमर शहीद राजा देवी बक्श सिंह के वंशज श्री माधवराज सिंह ने भी आजादी के अनछुए तथ्यों से सेनानी परिवारों को झकझोरा।  

स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के राष्ट्रीय महासचिव तथा आयोजन के मुख्य प्रवक्ता श्री जितेन्द्र रघुवंशी ने सेनानी परिवारों को अपनी गरिमा पहचानने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों के त्याग और बलिदान से मिली आजादी का सुख भोग रही सरकारों ने सेनानी परिवारों को भिखारी की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ही सेनानी परिवारों को राष्ट्रीय परिवार घोषित करके इन परिवारों का सम्पूर्ण दायित्व सरकार को उठाना चाहिए था, किन्तु दुर्भाग्य है कि इन परिवारों का करुण क्रन्दन भी सरकारों को नींद से नहीं जगा पा रहा है।

हरदोई से पधारे स्वतंत्रता सेनानी परिवार प्रतिनिधि आचार्य राम महेश मिश्र के मंचीय समन्वयन व संचालन में सम्पन्न सम्मेलन में बोलते हुए श्री रघुवंशी ने सेनानी परिवारों को अपना पुरुषार्थ तराशने और अपने पूर्वजों के सम्मान तथा अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संकल्पित करते हुए कहा कि अब पुनः इतिहास दुहराने के लिए तैयार हो जाएं, अन्यथा गौरैया पक्षी की भांति सेनानी परिवार भी लुप्त प्रजाति की श्रेणी में आ जाएंगे। उन्होंने 'अभी नहीं तो कभी नहीं' का उद्घोष करते हुए कहा कि यह समय हाथ पर हाथ रखकर बैठने का नहीं है, बल्कि साढ़े आठ करोड़ स्वतंत्रता सेनानी शहीद परिजनों को संगठित करके राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अनुकरण करने का है। देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह महात्मा गांधी ने अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए चम्पारण से सत्याग्रह आन्दोलन की शुरुआत की थी, उसी तरह अब उनके उत्तराधिकारी अपने पूर्वजों के सम्मान तथा अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए चम्पारण से आन्दोलन का बिगुल बजाने जा रहे हैं। चम्पारण के बाद हर राज्य की राजधानी में सेनानी परिवार अपनी शक्ति का एहसास सरकारों को कराएंगे, तत्पश्चात राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के महासंग्राम का उद्घोष होगा।

सेनानी परिवारों को कपूर सिंह दलाल, रमेश कुमार मिश्र, इशरत उल्ला खान, सुरेश चंद्र बबेले, सूर्य कुमार पांडेय, महन्थ प्रजापति, राजेश सिंह, अरुण सिंह तथा श्रीमती प्रेम देवी, रमेश उपाध्याय, अरुण प्रताप सिंह, मधुसूदन झा, अवधेश पन्त, रामचन्द्र पिल्दे ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन मुख्य संयोजक रमेश मिश्र ने किया।

   

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